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Thandel Review: नागा चैतन्य का बेहतरीन अभिनय,रोमांस में तो दिल को छू जाएगी लेकिन कुछ जगहों पर असफल भी दिखती है 

Thandel Review: नागा चैतन्य का बेहतरीन अभिनय,रोमांस में तो दिल को छू जाएगी लेकिन कुछ जगहों पर असफल भी दिखती है

Thandel Review
Thandel  (Pic Credit – (X- Thandel))

Thandel Review : Thandel एक ऐसी फिल्म है जो रोमांस, ड्रामा और थोड़ी सी रोमाँच को मिलाकर एक खास अनुभव देती है। चंदू मोंडेती द्वारा निर्देशित इस फिल्म में नागा चैतन्य और साई पल्लवी मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म कभी बेहतरीन लगती है, तो कभी थोड़ा सा भटकी हुई लगती है । लेकिन जहां तक प्यार की कहानी की बात है, यह फिल्म किसी भी तरीके से आपको निराश नहीं करेगी l

Thandel Review

कहानी

फिल्म की कहानी राजू (चैतन्य) और सत्या (पल्लवी) की है, जो बचपन से एक-दूसरे के साथ हैं और अपना भविष्य एक साथ बिताने का सपना देखते हैं। लेकिन समस्या यह है कि राजू एक मछुआरा है, जो साल के 9 महीने घर से दूर गुजरात में मछली पकड़ने जाता है। फोन पर ख्वाहिशों से भरी बातें, लाइटहाउस पर राजू के न होने का प्रतीक और जब वह घर लौटता है तो एक-दूसरे की बाहों में सोना, इस तरह राजू और सत्या हर पल को खास बना लेते हैं। लेकिन एक टूटे हुए वादे और एक खतरनाक मछली पकड़ने के सफर के बाद उनके रिश्ते में दरार आ जाती है।

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Thandel Review: क्या अच्छा है 

यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है, जब 22 मछुआरे श्रीकाकुलम और विजयनगरम से पाकिस्तान के पानी में गलती से चले गए थे तब उन्हें 13 महीने तक कराची जेल में बंद रखा गया था। चंदू ने इस घटना पर फिल्म बनाई और उसमें रोमांस और थोड़ी देशभक्ति का पूरा तड़का लगा दिया । फिल्म तब तक बेहतरीन लगती है जब तक यह मुख्य जोड़ी के प्यार पर ध्यान केंद्रित किये हुए है । लेकिन जब फिल्म मछुआरों के कराची जेल में समय बिताने की कहानी पर जाती है, तो यहाँ आप कुछ कमी महसूस करेंगे और इनकी हालत देखने पे आपको निराशा होगी और आपको इनपे दया आएगी l

 

नागा चैतन्य का प्रदर्शन

चैतन्य ने राजू का किरदार बहुत ही बेहतरीन तरीके से निभाया है। वह न सिर्फ वह इस रोल में फिट बैठते हैं, बल्कि उनका अभिनय भी बहुत प्रभावशाली है। उनकी आंखों में दर्द और उनकी भावनाएं , जब वह टूटते हैं, तो दर्शकों को भी महसूस होती है। फिल्म के कमजोर हिस्सों में भी उनका अभिनय ही है जो दर्शकों को बांधकर रखता है। और देवी श्री प्रसाद की म्यूजिक, खासकर Bujji Thalli गाने ने उनके इस प्रदर्शन में चार चांद लगा दिए हैं l

Thandel Review: क्या नहीं चलता

जहां चैतन्य शानदार प्रदर्शन करते हैं, वहीं साई पल्लवी कभी-कभी थोड़ी ज्यादा ही भावुक दिखती हैं। खासकर शुरुआत में, जहां वह खुशी का इज़हार करती हैं तब वह थोड़ी ओवर-द-टॉप लगती हैं, जैसे वह किसी फिल्म की मैनिक पिक्सी ड्रीम गर्ल हों। हालांकि, जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, उनका अभिनय प्रदर्शन बेहतर होता जाता है और वह फिर से वही साई पल्लवी बन जाती हैं, जिसे लोग पसंद करते हैं।

फिल्म में राजू और उसके साथी मछुआरों के कराची में संघर्ष करने के दृश्य थोड़े बलात्कारी लगते हैं। खासकर जब पाकिस्तानी कैदी बिना किसी वजह के भारत को नीचा दिखाने लगते हैं। इसके अलावा, सुषमा स्वराज के जगह पर सुषिला स्वराज की भूमिका भी उतनी प्रभावशाली नहीं है, जितनी होनी चाहिए थी। इसके अलावा, राजू और सत्या के श्रीकाकुलम के लहजे में थोड़ी झंकार महसूस होती है, जो थोड़ा असहज हो जाता है, खासकर जब वे डायलॉग बोलते हैं तब उनको बोलने में कठिनाई होती है l

Thandel Review
(Pic Credit-(X-Thandel)

निष्कर्ष

अगर आप एक गहरी, गंभीर और तार्किक फिल्म की उम्मीद कर रहे हैं, जैसे सरबजीत, तो Thandel आपके लिए नहीं है। यह एक हल्की-फुल्की रोमांटिक ड्रामा है, जो सिर्फ तब काम करती है जब आप दोनों मुख्य पात्रों के प्यार में डूब जाते हैं। क्या इसे बेहतर बनाया जा सकता था? जरूर। लेकिन नागा चैतन्य के लिए, यह फिल्म वह सफलता हो सकती है, जिसकी वह लंबे समय से तलाश कर रहे थे।